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टिंकू लोमड़ी के BA करने के बाद हीं अचानक उसपर घर की सारी जिम्मेदारी आ पड़ी | वह बहुत बेचैन और बेकल रहने लगा था | उसके पिता को लकवा का झटका क्या लगा कि , उसकी सुनहरी दुनियां में जिम्मेदारी अँधेरे की लौ बनकर जिंदगी में उतर पड़ी थी | 3 छोटे भाई - बहन , माँ और बीमार पिता की जिम्मेदारी निभाना , उसे बहुत भारी पड़ रहा था | ये बात अलग थी कि उसके पास खेत और अपना घर था | पर कैश नहीं था और पुरी जिम्मेदारी सो अलग | किसी तरह वह अपने मुहल्ले वाले को अपनी समस्या बताकर घरेलु ट्यूशन करना शुरू कर दिया , लेकिन ! इससे घर की समस्या को , पुरा करना संभव नहीं था |
छोटी बहन प्रियंका का रिश्ता , पास वाले गाँव के साहूकार के लड़के अभी खरगोश से बहुत पहले हीं कर दी गई थी | अगले वर्ष विवाह की सारी तैयारी भी करनी थी | इस बीच पिता के लकवा का झटका , घर की सारी परिस्थिति को हिलाकर रख दिया | 20 हजार मासिक आमदनी का झटका अचानक पड़ जाना एक सामान्य घर के लिए बहुत बड़ी बात थी | अब दहेज़ में इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल पड़ा , चूकि पिता की नौकरी छूट गई | कंपनी से कोई उम्मीद नहीं बचा था कि उससे लोन भी लिया जा सके |
प्रियंका को अपने भाई की परेशानी देखी नहीं जा रही थी | उसने मन बनाया अपने मौसी के घर शिमला जाकर कुछ घरेलु बिजनेस या लघु उद्योग शुरू करने का | घर वाले के लाख मना करने के बाद भी , वह अपने मौसेरे भाई को फोन करके बुला लिया | घर वाले ने अनमने ढंग से इजाजत दे दी और वह भाई के साथ शिमला चली आई |
प्रियंका के पास दौलत तो था नहीं कि वह कुछ कर पाती | मौसेरे भाई की भी स्थिति बहुत सामान्य थी , सो प्रियंका ने उनसे सिर्फ सहयोग करने की बात कही | बहुत बड़ी समस्या थी , वगैर पूंजी शिमला के शहरी क्षेत्र में व्यापार स्थापित करना | प्रियंका ने दिमाग लगाया , अपनी भाई की मदद से एक कंपनी में परिचय कर , लोगों के लिए लंच बनाने का कार्य शुरू किया | वह दोपहर को सब का टिफिन पहुँचाया करती थी | अभी 15 - 20 लोग हीं उनके सदस्य बने थे , जैसे हीं एक दूसरे से सभी को पता चला की टिफिन बहुत हीं स्वादिष्ट और सस्ता है , तो धीरे - धीरे कंपनी के बहुत सारे लोग , अपना - अपना टिफिन लाने का ऑफर देते हुए एडवांस रकम भी देना शुरू कर दिया |
अब प्रियंका के पास 200 के करीब सूची तैयार हो गई | अब उसने एक अलग फ़्लैट किराये पर ले लिया और साथ में 3 सहयोगी सदस्य भी रख लिए | लेकिन इससे भी काम बढ़ता चला गया और इनके टिफिन सदस्य बढ़कर 500 के करीब पहुँच गए और प्रतिदिन संख्या बढ़ती हीं जा रही थी | प्रियंका के लाख कोशिश के बावजूद उसके परिवार वाले अपना गाँव छोड़कर शहर आने के लिए राजी न हुए |
अकेली प्रियंका के लिए इतना ज्यादा काम , वह भी निर्धारित समय पर करके भेजना , बहुत हीं मुश्किल पड़ता जा रहा था | अपने बढ़ते बिजनेस को लेकर एक तरफ वह बहुत खुश थी , तो वहीं दूसरी तरफ बहुत परेशान और उदास | किसी भी कार्य में घर का सहयोग और साथ न मिले तो छोटा कार्य भी बहुत बड़ा दिखता है | प्रियंका का हौसला अब टूटने के कागार पर खड़ा था | लेकिन कहते हैं न कि - मन में अगर कार्य करने की लालसा और विश्वास हो तो , भगवान किसी न किसी रूप में आकर मदद करते हैं |
एक दिन प्रियंका अपने मंगेतर अभी खरगोश को शिमला आ जाने का अनुरोध करती है | अभी के शिमला पहुँचने पर , प्रियंका सारी समस्या और बढ़ती हुई बिजनेस के बारे में अवगत कराते हुए , सहयोग करने की बात करती है | चूकि अभी दिल्ली में पढ़ा - लिखा था , इसलिए उसे इस बिजनेस में दम दिखाई देने लगा | प्रतिमाह लाखों का बिजनेस भला कौन छोड़ता , उसे तो नई उम्मीद की किरण झलकने लगा | सोंचा अपनी MBA की डिग्री का इस्तेमाल इसी कार्य में क्यों न लगा लिए जाए | उसने प्रियंका से एक सप्ताह का समय लेकर अपने घर चला गया | गाँव जाकर अपने माता - पिता को सारी बातें समझाते हुए एक दिन वह प्रियंका के भाई टिंकू लोमड़ी के पास अपने पुरे परिवार के साथ पहुँच गया |
अपने दरवाजे पर , अचानक अभी और उसके परिवार को देखकर टिंकू को एक पल के लिए लगता है की रिश्ता तोड़ने के लिए हीं ये सभी लोग आये है | फिर भी स्वागत तो करना हीं था , सो उन्हें बिठाकर इधर - उधर की बात कर स्वागत सत्कार किया , फिर आने का करण पूछा | तो अभी कि माँ ने बताया - इसी महीने में विवाह करने की सोंची है | यह सुनते हीं टिंकू के पाँव से जमी फिसल जाता है | उसे लगता है की अभी तो शादी की पूर्व तारीख में 10 माह बाकी है | अचानक इसी माह में शादी करने का प्रस्ताव टिंकू के समझ में नहीं आता |
दहेज़ और तिलक की बात सोंचकर टिंकू शादी से इंकार कर देता है , यह कहकर कि 2 साल बाद हीं शादी की व्यवस्था कर पाऊंगा | पापा की बीमारी की वजह से घर की स्थिति थोड़ी कमजोर पड़ गई है | इतना सुनने के बाद अभी की माँ टिंकू से बोलती है - टिंकू बेटा मुझे तिलक दहेज़ नहीं चाहिए | सिर्फ एक कपड़े में मुझे प्रियंका चाहिए | हम उसे खुश होकर ले जायेंगे | टिंकू को कुछ समझ में नहीं आ पाता फिर भी वह शादी के लिए हामी भर देता है | दोनों की शादी शिमला के एक मंदिर में हो जाती है |
अपनी हैसियत के अनुसार अपनी बहन व बहनोई के लिए पुरी व्यवस्था कर , उसे ससुराल पहुंचाकर , जिम्मेदारी से निजात पाते हुए , अपने घर पहुंचकर , ठंढी सांस लेता है , जैसे - कोई बड़ी लड़ाई जीतकर एक सिपाही घर लौटा हो |
कुछ दिन के बाद टिंकू को पता चलता है कि , साहूकार अपने पुरे परिवार के साथ शिमला सेटल हो चुके है | टिंकू को आश्चर्य का ठिकाना नहीं होता कि साहूकार अपनी अच्छी - खासी चलती हुई दूकान छोड़कर , शिमला में क्यूँ शिफ्ट हो गए !
इधर प्रियंका का बिजनेस बुलंदी पर पहुँच चूका था | मात्र 6 महीने में हीं 10 लाख रुपये का बिजनेस कर वह , अपने घर में बहुत सारी टिफिन बनवाने और बहुत सारी कंपनी का कार्य अपने पति के साथ मिलकर बढ़ा लिया था | अब तो प्रियंका को कोई चिंता भी नहीं थी , अपने ससुराल वाले का सहयोग - साथ पाकर , वह दिन - रात आगे की तरफ बढ़ती हीं जा रही थी | अभी ने प्रियंका से पलानिंग कर दो थ्री बीएच का फ़्लैट भी बुक कर लिया था और हर माह निर्धारित राशि भरती आ रही थी | साल भर बाद हीं प्रियंका के पास स्वयं का 2 फ़्लैट हो गया , एक बिजनेस के लिए और एक रहने के लिए , वह भी एक हीं सोसाइटी में |
नए फ़्लैट की चाभी मिल जाने के बाद , अपने घर को इन्टेरियर डिजाईनर से सजवाकर तैयार कर लिया | अब बारी थी गृहप्रवेश की , तो अपने मायके वाले को भी आमंत्रित किया | सभी लोग उस फ़्लैट को देखकर आश्चर्यचकित रह गए | इतने कम समय में , इतनी सफलता कैसे संभव है !
कीमती सामानों से सजा - संवरा खुबसूरत फ़्लैट , टिंकू को देखकर बहुत आश्चर्य होता है | वह अपनी बहनोई अभी से पूछ हीं बैठता है - अभी जी इतनी जल्दी तरक्की ! जरा मुझे भी तो राज बताइए ताकि हम भी फ़्लैट बुक कर सके | आपकी इतनी शानदार फ़्लैट वह भी दो - दो एक साथ कुछ जम नहीं रही है | इस बात पर अभी मुस्कुराते हुए बोलता है - अपनी अपनी सोंच है साले साहब ! ऑफर तो आपको भी मिला था , लेकिन आप प्रियंका की बात माने नहीं | फिर प्रियंका ने मुझे फोन करके , शिमला बुलाकर साथ रहने की जिद्द कर बैठी | अब वगैर शादी तो हम , प्रियंका के संग रह नहीं सकते थे | सो मैंने मम्मी - पापा को मनाकर शादी के लिए राजी कर लिया और शिमला में हीं सेटल होने की बात कर प्रियंका के बिजनेस को आगे बढ़ाने की सोंची और साले साहब , यह तो आपके बहन का दिमाग है कि शिमला जैसे शहर में मैंने 2 फ़्लैट वह भी इतना बड़ा खरीद पाया | ऐसी लड़की से शादी करके मै तो धन्य हो गया हूँ | गंगा नहाया था जो मुझे प्रियंका मिली |
साले साहब बिजनेस लड़का का हो या लड़की का , सिर्फ फायदा देखना चाहिए और फायदे वाली बिजनेस को हीं परिवार के सभी सदस्य को मिलकर बढानी चाहिए | आज आपकी बहन 3 लाख से ज्यादा हर महीने धन कमाती है , मै तो सिर्फ थोड़ा सहारा देता हूँ ताकि वह अकेली पाकर टूटे नहीं और एक आप थे जो शिमला सेटल होना हीं नहीं चाह रहे थे | आप शिमला सेटल हो जाते तो मै उसी गाँव में झक मारता रह जाता | यह तो प्रियंका का एहसान है कि उसने मुझे शहर में सेटल किया | ......... कहानी का शेष भाग अगले दिन | ......... ( कहानी आत्मविश्वास पार्ट 1 :- लेखिका :- सृष्टि रानी )
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