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उम्र के किसी भी दहलीज पर इंसान पहुँच जाए फिर भी वह स्वयं को वृद्ध नहीं मानता | शायद इसलिए कि तन बुढा होता है मन नहीं , मन तो हर उम्र में उमंगें भरकर इन्द्रधनुषी उछाल लेता है | शायद इसलिए किसी शायर ने लिखा -"अभी तो मै जवान हूँ" , यह लाइन किसी फिल्म के गीत का है |
90 के उम्र में अगर इंसान पुरानी ख्वाबो को पूरा करना चाहे , जो छूट गया बहुत दूर उसे पाना चाहे और इस जिज्ञासा को बार - बार दस्तक दे तो उनकी यह इच्छा समय पूरी कर देता है | कुछ लोग दुनिया के लिए अपवाद होते है और यही अपवाद इतिहास के पन्नो में दर्ज होकर लहराता है |
आज हमारा भारत आजादी के 75 वां साल का जश्न मना रहा है | वहीं 90 वर्षीय रीना वर्मा जो की महाराष्ट्र के पुणा में रहती है उन्हें अपना पुश्तैनी घर याद आ गया |
हालाकि उन्होंने कई बार प्रयास किया पाकिस्तान जाने का मगर उन्हें वीजा उपलब्ध नहीं हो सका , जिसके कारण उनका सपना कल तक अधूरा रहा | परन्तु सपने पुरे होते है , एक बार फिर यह साबित हो गया |
बड़े हीं ख़ुशी की बात है कि पाकिस्तान की विदेश मंत्री हीना रव्वानी खार ने उनकी इस इच्छा को पूरी कर वीजा उपलब्ध करा दिया | रीना वर्मा ने हीना रव्वानी खार को टैग करते हुए अपनी इच्छा जाहिर की थी |
रीना वर्मा पहले रावलपिंडी में रहती थी | बंटवारे के बाद भारत में रहने लगी तब से यहीं है और उन्होंने अपने पुश्तैनी घर की तस्वीर को मन में कैद कर रखा है | 75 साल बाद उनका यह सपना पुरे होने के कगार पर खड़ा है जब वह अपने जन्मस्थली को स्पर्श करेंगी |
बाघा अटारी बोर्डर के रास्ते रीना छिब्बर वर्मा जब लाहौर में दाखिल हुई तो उनके आँखों से ख़ुशी के आंसू छलक गए | एक विडियो में रीना वर्मा यह कहती हुए दिख रही हैं - वह अपने पैतृक निवास जहाँ उनका बच्चपन गुजरा , वह स्कूल जहाँ से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की उसे देखेंगी और अपने दोस्तों से मिलेंगी |
रीना वर्मा का परिवार रावलपिंडी के देवी कॉलेज रोड पर रहता था | इसी स्कूल से रीना के चारो भाई - बहन के पढ़ाई हुई है |
1965 में उन्होंने पाकिस्तान वीजा के लिए आवेदन दिया था , परन्तु स्वीकृति नहीं मिली , युद्ध के हालात ने इंकार पर मोहर लगा दिया |
सोशल मीडिया का यह कमाल कि दिल के तार को इस कदर जोड़ दिया कि पाकिस्तान बहुत दूर नहीं और जाने का रास्ता इस कदर पास आकर खड़ा हो गया जैसे की कुछ किलोमीटर सफ़र तय करना हो | पिछले वर्ष इन्होने सोशल मीडिया पर अपने पैतृक घर जाने की इच्छा जाहिर की थी |
सबसे पहले हम पाकिस्तानी नागरिक सज्जाद हैदर के दिल को सलाम करना चाहेंगे जिन्होंने सोशल मीडिया पर उनसे संपर्क किया | उनकी भावना का आदर कर रावलपिंडी में उनके घर की तस्वीरें भेज दी |
आज वर्षो बाद मुझे फिल्म PK का याद आ गया | दो दिल भले ही दो देश में निवास करते हों , मगर मन तो अभी भी शायद एक है !
अब तस्वीर देख रीना वर्मा का मन फिर से प्रेरित हुआ और उन्होंने फिर पाकिस्तानी वीजा के लिए आवेदन किया | बंटवारे के समय रीना 15 साल की थी | मंत्री महोदया ने रीना वर्मा को 3 महीने के लिए वीजा जारी करवाया है | इनके भाई - बहनों के कई मुस्लिम दोस्त हुआ करते थे जो इनके घर आते जाते रहे | इनके पिता खुले विचार वाले थे , कभी धर्म में अंतर नहीं रखा | आज रीना को वो सभी दोस्त बहुत याद आते है |
आज हमारे देशवासी रीना वर्मा को सलाम कर रहे है | इस उम्र में उनके उत्साह को देखकर लोगो का मन भावविहल होने से थमा नहीं | इनके मकान का नाम प्रेम निवास है और शायद इनके मन में भी उस धरती का प्रेम अभी भी निवास करता है |
अब चलते - चलते हम इतना कहेंगे - बंटवारा से पूर्व हिन्दू - मुस्लिम में लड़ाई का कोई मुद्दा नहीं था , विभाजन की बाद सबकुछ बिखर गया | एक दिल एक मन दो हो गए आखिर क्यूँ ? दूर होकर भी तो पास रहा जा सकता है | दिल के घर में जगह बनाइये और अपने मन को शिवालय जहाँ सभी धर्म को स्थान देकर तुम मेरे हो की नीति अगर अपना ले तो बहुत आनंद मिलेगा |
हम में तुम और तुम में हम , जिंदगी तो इसी का नाम है | यह शब्द , दौर कहाँ खो गया ? आखिर क्यूँ खो गया ? क्यूँ न एक बार फिर से हम बून दे वो धागा जो तनाव से टूट गया , खिंचाव में टूट गया , फैलाव में टूट गया | ........... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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