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पिछले कई महीनों से ऑंखें जिस दृश्य को देखने के लिए इंतज़ार कर रही थी , वह इंतज़ार आज समाप्त होने को है और इस इंतज़ार में एक अलग हीं अनुभूति मिलने वाली है | इसलिए की गुरुवार से महू पातालपानी और कालाकुंड के बीच हेरिटेज ट्रेन का आरम्भ हो रहा है |
अब महीनों बाद फिर से नियमित रूप से पटरी पर दौड़ने हेतु यह ट्रेन स्वतंत्र हो चुकी है | इसलिए की लॉकडाउन के कारण ट्रेन की गति बाधित थी , मार्च 2020 से इस ट्रेन का संचालन नहीं हो पा रहा था | अब यात्रीगण इस ट्रेन की बुकिंग ऑनलाइन या आरक्षण केन्द्रों से करवा सकते हैं |
सूचना के आधार पर इस ट्रेन में 2 विस्टाडोम कोच और 3 नन विस्टाडोम कोच है | हेरिटेज ट्रेन में आने - जाने का अलग - अलग टिकट लेना होगा | इसमे एसी चेयर कार में 265 रुपये , जबकि नन एसी चेयर कार का किराया मात्र 20 रुपया प्रति टिकट है |
रेलवे पीआरओ खेमराज मीना के अनुसार - यह ट्रेन महू से रोजाना सुबह 11:15 से रवाना होकर पातालपानी में रुकती हुई 1:25 बजे कालकुंड पहुंचेगी | इसके बाद यह ट्रेन 3:34 बजे वहां से रवाना होगी और 4:30 बजे महू पहुंचेगी |
इस ट्रेन में 272 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है | इसका रफ़्तार लगभग 180 किलोमीटर प्रति घंटे होगी | इस कोच में मोबाईल या लैपटॉप चार्ज करने के लिए भी चार्जिंग पॉइंट है | यह सुविधा सीट के हाथ के बगल में होगी , जिससे यात्रियों को पॉइंट लगाने में काफी सुविधा होगा | इस ट्रेन में एक खास सुविधा यह है कि - यात्रियों को टॉयलेट में गन्दगी को लेकर जो परेशानी का सामना करना पड़ता था , वो इस ट्रेन में नहीं होगा | इसमें लगातार साफ़ - सफाई चलती रहेगी |
हरियाली के बीच से गुजरती हेरिटेज ट्रेन , इस बरसात में लुभावना रोमांटिक मौसम के बीच अपनी मस्तानी चाल व गोल्डन / सिल्वर बादलों के बीच से होती हुई गुजरेगी | इसका सफ़र बहुत हीं सुहावना व रंगीला होने वाला है | इस ट्रेन में न सिर्फ आराम मिलेगा , बल्कि इसकी यात्रा एक यादगार भी बनेगी |
ठीक वैसे हीं , जैसे लोग बादलों के ऊपर प्लेन से उड़ान भरते हुए अपनी आशाओं को कई किलोमीटर ऊपर से महसूस करते हैं |
इस ट्रेन को बड़े हीं खूबसूरती से सजाया गया है | महू कोचिंग डिपो में रेलवे ने हेरिटेज ट्रेन के पुराने कोचों को नया रूप - रंग में ढाला है | सुहावने दृश्य का यात्रियों को दीदार हो सके , इसलिए छोटी खिड़कियों की जगह अब बड़ी खिड़कियाँ बनायी गई है , जिसमें बड़े कांच लगे होंगे | हलाकि बिस्टाडोम कोच में छतो पर भी ग्लास लगे होते है | पूरा रास्ता ढलान भरा है , ट्रेन जब गुफ्फा से गुजरती है तो ट्रेन में अँधेरा छा जाता है | लोग एक - दूसरे को नहीं देख पाते जिससे शोर भी मचता है |
पातालपानी , इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर पर है | कुछ पूर्व रतलाम रेल मंडल ने जिला प्रशासन से ट्रेन की गति आरम्भ करने की स्वीकृति मांगी थी , ताकि इस मौसम का यात्रीगण लुफ्त उठा सके | महू से पातालपानी के लिए हेरिटेज ट्रेन का संचालन काफी नीची - ऊँची होते हुए आगे बढ़ती है | रास्ते में झड़ना , हरियाली आदि देखने को मिलता है , क्यूंकि ग्लासेस से बाहर का पूरा दृश्य गुजरता है | लोग अपनी सेल्फी लेने के लिए आतुर हो जाते हैं | मानसून के मौसम में यहाँ की हरियाली व झड़ना देखने लायक होती है | यात्रियों को आनंद तो मिलता है , परन्तु यहाँ दुर्घटना भी बहुत होती है , क्यूंकि इस वक्त झड़ना का पानी बहुत ज्यादा बहाव लिए होता है , जिसमे लोग फिसल भी जाते हैं , फिर उनका मिलना संभव नहीं होता |
परिवार के संग शांति पूर्वक सचेत रहकर दूर से झड़ने के लुफ्त उठाया जा सकता है | यहाँ बंदरों की संख्या भी बहुत ज्यादा है , इसलिए बचाव जरुरी है | इस ट्रेन में चित्रकारी भी बहुत हीं गजब का है - आगे की कोंच पर बैठने के बाते बहुत हीं निराली व खुशनुमा जान पड़ने वाला है , क्यूंकि सामने से सारा खुशनुमा दृश्य आपके आँखों के सामने होगा | ठीक वैसे हीं जैसे कि आप बोल उठते है - मोह - मोह के धागे मेरी उँगलियों में जा लिपटे , तो भी ये दृश्य आपके ह्रदय को स्पर्श करने वाला है जिसे आप भूल नहीं पायेंगे और यह दृश्य यादगार बनकर आपको सदैव अपनी तरफ खींचता रहेगा |
रेलमंत्री का ट्विट और हेरिटेज ट्रेन का विडियो टाइटल पर क्लिक करके देखे :-
इस नई पहल से , पर्यटन स्थलों की यात्रा को बेहद यादगार बनाने के मकसद से पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल ने आरम्भ किया था | बीते महीने रेलमंत्री ने एक ट्विट किया था , जिसमे रेल के डिब्बों का विडियो था | उन्होंने लिखा था - बिस्टाडोम कोच का असर सुविधाजनक और रोमांचक सफ़र मानसून के मौसम में मुंबई - पुणे रेल मार्ग पर बिस्टाडोम कोच की पारदर्शी छत व बड़ी खिड़कियों से यात्री प्रकृति का भरपूर आनंद ले रहे हैं | सफ़र में विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ हीं रास्तो का प्रकृति सौन्दर्य यात्रियों का मन मोह रहा है |
ऐसी ट्रेन की सीटें चारो ओर घुमाया जा सकता है | उन्हें जिस दिशा में बैठना हो , उस दिशा की तरफ बैठ कर प्रकृति का लुफ्त उठा सकते है | क्यूंकि यह सीट 180 डिग्री पर घूम सकती है , इसके आसपास पैर फैलाने के लिए भी काफी स्पेस है | ऐसी कोंच में कुल 44 सीटें है | ऊपर की ओर देखते हुए बादलों का भी लुफ्त लिय जा सकता है , चूकी बादलों के भी रंग बदलते है - काला / उजला / नीला / पीला / सतरंगी न जाने कितने रंगों से अद्दभुत बादल अपना इन्द्रधनुषी रूप भी दिखलाता है | अब आपको जरा भी ऐसा नहीं लगेगा कि - आप अन्दर बैठकर सफ़र कर रहे है | इस सफर में प्लेन से भी कहीं ज्यादा आनंद आने वाला है | प्लेन में सिर्फ बादलों का दीदार करते है लोग , परन्तु यहाँ तो बादलों के साथ हरियाली , खुबसूरत जानवर , चिड़ियों का उड़ना और झड़ने की मस्ती भरी चाल का लुफ्त भी उठाते हुए एक अलग हीं अनुभूति प्राप्त कर लोग बोल उठेंगे - अब आसमान में उड़ने की चाहत से बढ़िया रेल की पटरियों का सफ़र | हमारा शुभ मंगल भारतीय रेल | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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