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उत्तरप्रदेश के बाघंबरी मठ में सोमवार को महंत नरेन्द्र गिरी का शव संदिग्ध हालत में लटका मिला , ये 70 वर्ष के थे | संदेह के तौर पर आनंद गिरी को उत्तरप्रदेश की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया | आनंद गिरी नरेन्द्र गिरी के शिष्य है , इनकी गिरफ्तारी हरिद्वार से की गई है | साथ हीं लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी और उनके बेटे को भी प्रयागराज से हिरासत में ले लिया गया है |
महंत नरेन्द्र गिरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव थे , जिनकी संदिग्ध हालत में मौत हुई है |
यह बीते सोमवार की बात है | पुलिस जब वहां पहुंची , तो उनके कमरे में एक सुसाइड नोट मिला था | जिसमे उन्होंने आनंद गिरी और दो अन्य मुख्य पुजारी , जो की लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी है , इनका नाम आध्धा पुजारी है और इनके बेटे संदीप तिवारी , इन दोनों को मौत का मुख्य आरोपी करार देते हुए चार नाम और भी अंकित है |
सुसाईड नोट एक - दो पन्ने का नहीं बल्कि सात पन्नों में अंकित है और यह वसीयत की तरह बनाई गई है | जिसमे मठ की सम्पति को बंटवारे के लिए उन्होंने अपने विचार को अंकित किया है |
उत्तरप्रदेश की पुलिस को जैसे हीं सुसाईड नोट मिला जिसमे आनंद गिरिका नाम भी अंकित था | वे उतराखंड के पुलिस को सूचना जारी कर हरिद्वार के आश्रम से इन्हें गिरफ्तार करने की बात कही थी | उत्तरप्रदेश पुलिस देर रात वहां पहुंची , जहाँ पहले से हीं इन्हें हिरासत में ले लिया गया था |
आनंद गिरी से उतराखंड पुलिस ने पूछताछ इसलिए नहीं कि - क्यूंकि यह मामला उत्तरप्रदेश का था | अब उत्तरप्रदेश की पुलिस उन्हें लेकर रवाना हो चुकी है | सूचना के आधार पर नरेन्द्र गिरी का शव अल्लापुर में बाघंबरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला | पोस्टमार्टम के बाद हीं घटना के कारण का पता चल सकेगा | फिलहाल जाँच पड़ताल जारी है |
IG रेंज के०पी० सिंह के अनुसार यह मामला आत्महत्या का लग रहा है | इसलिए फौरेंसीक टीम को भी घटना स्थल पर बुलाया गया | नरेन्द्र गिरी ने जिस कमरे में सुसाईड किया , उस कमरे का दरवाजा बंद था | पुलिस के अनुसार नरेन्द्र गिरी का शव कमरा के अन्दर बंद था | उनके गले में नायलौन की रस्सी भी बंधी थी | उनके शिष्य बबलू के अनुसार - रविवार को गेहूं में रखने के लिए सल्फास की गोलियां मंगाई थी और डॉन दिन पहले नायलौन की रस्सी भी मंगाई गई थी | नरेन्द्र गिरी को कपड़े टांगने में समस्या था इसलिए यह रस्सी मंगाई गई थी | हालाकि सल्फास की गोली का डब्बा खुला हुआ नहीं था |
इनकी मौत की साजिश में कई नाम व चेहरे सामने नजर आ रहे है | तीन चेहरे जिन्हें गिरफ्तार किया गया , इसके अतिरिक्त अभी चार चेहरे का पर्दाफाश होना बाकी है | यह चारो नाम भी सुसाईड नोट में दर्ज है , जिसमे - अजय सिंह , अभिषेक मिश्रा , विवेक मिश्रा और मनीष शुक्ला का नाम शामिल है | ये चार नाम नरेन्द्र गिरी के सुरक्षाकर्मी का नाम है , इन सबकी नजर मठ की सम्पति पर ठहरी थी |
इन सभी के लिए करोड़ों का घर नरेन्द्र गिरी ने बनवाया था और मनीष शुक्ला की तो शादी भी करवाई थी | आनंद गिरी के अनुसार - सारी जिम्मेदारी अपने सर लेकर नरेन्द्र गिरी ने डॉक्टर एवं उद्योगपतियों से कर्ज भी ले रखा था | आनंद गिरी ने , नरेन्द्र गिरी के मौत की साजिश से अपना नाम अलग हटाते हुए कहा कि - मई के बाद उन्हें गुरु जी से मुलाक़ात नहीं हुई है | आखिरी बार वे लखनऊ में मिले थे | आनंद गिरी ने साफ़ तौर पर कहा है कि - साजिश में मेरा नाम देकर मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है | साथ हीं कहा कि - सुसाईड नोट में गुरु जी मेरा नाम नहीं लिख सकते | सुसाईड नोट की जाँच होनी चाहिए |
आनंद गिरी के अनुसार उन्होंने अपना पूरा जीवन गुरु जी के लिए समर्पित किया और उनसे कभी पैसा नहीं लिया | उनका कहना है कि - मै सरकार से अनुरोध करता हूँ कि पुरे मामले के तह तक जांच हो |
नरेन्द्र गिरी के कमरे में मिले 7 पन्नों के सुसाईड नोट में लिखा था कि - किस शिष्य को कितना - कितना और क्या देना है | क्यूंकि यह वसियत के तरह बनाया गया सुसाईड नोट कहा जा सकता है | इसमे यह भी बातें अंकित है कि - नरेन्द्र गिरी अपने शिष्य से परेशान और दुखी है इसलिए वह सुसाईड कर रहे हैं | बातें तो यह भी सामने आ गई कि - नरेन्द्र गिरी ने सल्फास खाया है , जबकि सल्फास का डिब्बा उनके कमरे में बंद मिला , फिर भी अगर सल्फास खाने की बाते सही होगी , तो वह पोस्टमार्टम के रिपोर्ट में स्पष्ट दिखाई पड़ेगा |
शव को अपने कब्जे में लेने के बाद पुलिस ने मठ के रास्ते को पूरी तरह बंद कर दिया | साथ हीं जिलाधिकारी - संजय खत्री , IG - के०पी० सिंह , DIG - सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी सहित कई अधिकारीगण रात से हीं सूचना मिलने के बाद वहां मौजूद थे और भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया था |
सोमवार को देर रात 12:54 बजे आनंद गिरी पर ख़ुदकुशी के लिए उकसाने का मुक़दमा दर्ज किया गया | यह मुक़दमा शिष्य अमन गिरी ,पवन महाराज ने दर्ज कराया | इसमे लिखा है कि - महंत ने चाय पीने के लिए मना कर दिया था | उन्होंने कहा था कि - जब इच्छा होगी , वे स्वयं सूचित करेंगे | शाम 5 बजे के करीब उनका मोबाइल स्विच ऑफ था | धक्का देकर उनके दरवाजे को खोला गया , तो महाराज का शव पंखे से लटका हुआ मिला |
रात भर मठ पर श्रद्धालुओं का जमावारा भी उमड़ता जा रहा था | सबका एक हीं सवाल था कि - उन्होंने आत्महत्या क्यों की ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उन्हें चाहने वाले सभी लोग उनके इस संदिग्ध मौत पर गहरा शोक प्रगट कर रहे है |
उत्तरप्रदेश के डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य बीते रविवार को अनंत चतुर्दशी के दिन मंदिर जाकर महंत नरेन्द्र गिरी से आशीर्वाद लिया था | उन्हें क्या पता था कि - एक दिन बाद हीं उनके आशीर्वाद से देश वंचित रह जाएगा |
ऐसा कहा जा रहा है कि - लगभग 20 वर्षों से उनका साधू - संतों के बीच गहरा रिश्ता था | वहां कोई भी नेता या प्रशासनिक पदाधिकारी , अधिकारी जाते , तो इनका आशीर्वाद लेने मंदिर में अवश्य पहुंचते |
यह घोर आश्चर्य की बात है कि एक और साधू का संदिग्ध हालत में मौत अपने भारत को शर्मसार कर गया | अपने भारत को आरंभिक दौर से हीं साधू - संत की रक्षा और इनके आशीर्वाद के लिए जाना जाता रहा है | यह कहना लाजमी होगा कि - भगवान विष्णु श्रीराम के अवतार में धरती पर चौदह वर्ष का बनवास साधू - संत की रक्षा के लिए हीं लिया था | यह भुलाने की बात नहीं है कि मृत्यु सत्य है | एक दिन इसे आना हीं होता है | परन्तु किसी की हत्या कर देना या फिर आत्महत्या करने पर मजबूर कर देना , ये दोनों हीं बातें पाप के दायरे में कैद होकर रहेगी |
यूँ हीं भारत में प्रलय नहीं हो रहा ! साधू संत की हत्या एक बहुत बड़ा अनर्थ है | हत्या चाहे जिसने भी की हो , या फिर उसकी क्या मंशा रही हो ? यह तो आगे आने वाले दिनों में पता चलेगा | परन्तु जुर्मकर्ता जुर्म करने से पहले ये क्यूँ नहीं समझ पाते कि - उनकी जिंदगी कितने पल की है या फिर उनके परिवार की जिंदगी कितने पल उनके साथ ठहर पाएगी | यह सिर्फ शब्द नहीं यह बहुत बड़ा गहरा सोंच का विषय है | सभी को इस गहराई में डूबकर सोंचना चाहिए - जीयो और जीने दो , वाली कहावत पर जिंदगी आधारित होना चाहिए | तभी दूर तक जिंदगी सफ़र में सुरक्षित तैर पाएगी | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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