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किंगफ़िशर नाम से जाने जाने वाले "विजय माल्या" की प्रोपर्टी किंगफिशर हाउस आखिरकार बिक हीं गया | पूर्व में भी इस हाउस की नीलामी की चर्चा आठ बार की जा चुकी थी , परन्तु अब जाकर सफलता हाथ लगी |
इस हाउस को खरीदने वाले हैदराबाद के प्राइवेट डेवलपर्स सैटर्न रियल्टर्स है | इन्होने इस प्रोपर्टी को 52 करोड़ रुपये में ख़रीदा है और इस हाउस को बेचने वाले थे - डेट रिकवरी ट्रिव्यूनल | यह हाउस कभी किंगफ़िशर एयरलाइन का हेड ऑफिस हुआ करता था |
विजय माल्या की एयरलाइन कंपनी अब पूरी तरह दिवालिया घोषित हो चुकी है |
26 जुलाई को ब्रिटेन की एक आदालत ने विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया है | अब इनके प्रॉपर्टी को भारतीय बैंक आसानी से जब्त कर सकेंगे | 20 अक्टूबर 2012 से हीं विजय माल्या की एयरलाइन कंपनी किंगफ़िशर फाइनेंशियल क्राइसेस के कारण बंद है और इनपर बैंक का बहुत ज्यादा कर्ज हो चुका है | इसलिए इन्हें बहुत सारे मौके दिए गए , बावजूद वो लिए गए कर्ज से अभी तक मुक्त नहीं हो सके और न हीं कोई आसार सामने था |
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में , बैंक संघ ने मिलकर ब्रिटिश कोर्ट के पास एक याचिका दायर की थी , जिसमे विजय माल्या से संबंधित सभी व्योरा अंकित था | अब , जबकि ब्रिटेन की आदालत से माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया गया है और अब इनके पास लंदन हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई मौका भी नहीं है , जिससे वह अपनी बचाव के लिए अवसर मांग सके |
किंगफ़िशर हाउस को नीलाम करने की योजना 8 बार रुक चुका है | कर्ज रिकवर में सरकारी बैंक सहित वित्तीय संस्थान भी शामिल है | 2016 में इसकी नीलामी की प्रक्रिया पूरी की गई थी | उस वक्त इस प्रॉपर्टी की कीमत 150 करोड़ निर्धारित की गई थी , जिससे इस प्रॉपर्टी की खरीदार नहीं मिल सका | इसलिए की यह प्रॉपर्टी भले हीं मुंबई के विले पार्ले में है , परन्तु एअरपोर्ट के बाहरी इलाके में मौजूद है | रियलिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस प्रॉपर्टी का डेवलप करने का अभी कोई स्कोप नजर नहीं आ रहा है | इसलिए 2016 में जिस प्रॉपर्टी की कीमत 150 करोड़ आंकी गई थी , उसे अब आधे से भी कम दाम में नीलाम कर दिया गया | खैर ......आगे जो भी हो , प्रॉपर्टी या धन लक्ष्मी को चलंत कहा गया है |
धन का आना - जाना नियति है , परन्तु लोग समझ नहीं पाते ! कहा भी गया है - इस धरती पर भाग्य से ज्यादा आप कुछ भी नहीं पा सकते और समय से पहले भी कुछ नहीं मिल सकेगा | जिंदगी इसी का नाम है |
बहुत मुश्किल से खरीदार मिल सका है | इस प्रॉपर्टी का एरिया 2402 वर्ग फीट का है , जिसमे ऑफिस की बिल्डिंग , बेसमेंट और एक ग्राउंड फ्लोर , एक अपर ग्राउंड फ्लोर और एक अपर फ्लोर आदि बना हुआ है | SBI के नेतृत्व वाली बैंकों का कर्ज 10 हजार करोड़ रुपये के करीब है , जिसमे कर्जदाताओं ने 7250 करोड़ रुपये वसूल चुकी है |
विजय माल्या को भारत छोड़े कई साल हो गए | 2 मार्च 2016 को उन्होंने भारत छोड़ दिया था | वहीं 2019 में इनपर कर्ज भुगतान न करने और कथित तौर पर बैंकों को धोखा देने का आरोप लगा और इन्हें भगोड़ा आर्थिक आपराधी घोषित कर दिया गया |
विजय माल्या भारत के एक सुदृढ़ व मशहूर बिजनेसमैन कहे जाते रहे हैं | साथ हीं ये राज्य सभा के पूर्व सदस्य भी थे | ये उधोगपति विट्ठल माल्या के पुत्र है | इनका बचपन एक उधोगपति के घर से आरम्भ हुआ और स्नेह - स्नेह वह आगे की तरफ बढ़ते हीं चले गए और उस सोंच को मुकाम तक पहुंचाने व उड़ान देने की कोशिश की | परन्तु कहाँ चुक हुई कि उनका सारा मेहनत हीं मिट्टी में मिल गया और उनके नाम के साथ भगौड़ा लगा दिया गया |
कारण चाहे जो हो , परंतु समय का चक्र बलवान है | उसकी गति अपने हीं अनुसार आगे बढ़ता रहता है | 2015 की जुलाई में वह विवादों से घिरे , जब IDBI बैंक की शिकायत के आधार पर , लोन बकाया मामले में उनपर केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने केस दर्ज किया | फिर CBI ने इनपर धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र का आरोप लगाए |
बिजय माल्या कई भाषाओं के जानकार है | जैसे - हिंदी , इंग्लिश , कोकण , गुजराती , कन्नड़ , बांग्ला और फ्रेंच |
दुनियां की सबसे बड़ी नौकाओं "द इंडियन इम्प्रेस" के मालिक बने , जिसमे एक स्टीम रूम , मसाज सुविधाएँ , सिनेमा हॉल और एक व्यायामशाला शामिल था |
राजसी ठाठ में जन्म और पलने वाले माल्या , लंदन में जब टीपू सुल्तान की तलवार की नीलामी लगते देखा तो - इन्होने यह तलवार 175 हजार पोंड में ख़रीद लिया , यह बात 2004 की है | कुछ हीं साल बाद 2009 में न्यूयॉर्क में महात्मा गांधी ( बापू ) का चश्मा / चप्पल और बर्तन की नीलामी हुई थी | हालाकि भारत में इस नीलामी का भारी विरोध हो रहा था | कई संगठनों का यह दावा था कि - किसी देश के राष्ट्रपिता से जुड़ी चीजो पर पहला हक़ उस देश का होता है , उसे कोई संस्था ऐसे नीलाम नहीं कर सकती | लेकिन नीलामी घर ने नीलामी रोकने से इंकार कर दिया था | उस वक्त ऐन मौके पर विजय माल्या ने 18 लाख डॉलर की सबसे ऊँची बोली लगाकर , इन चीजों को अपने नाम की थी और बापू के समान को सह्सम्मान अपनाकर किसी और के हाथ में जाने नहीं दिया |
यह कोई छोटी बातें नहीं है , विजय माल्या उस वक्त पैसों का कोई परवाह नहीं किया | आज भले हीं उनका नाम भगौड़ा रख दिया गया , परन्तु भगौड़ा नाम रखने वाले उस वक्त कहाँ थे ? जब देश की आजादी के बिगुल बजाने वाले महात्मा गाँधी का सामान के लिए किसी भारतीय का हाथ आगे नहीं बढ़ा |
अब विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया गया है | काश ! इन्हें तिनके का सहारा मिल गया होता , तो उन्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता और इनकी डूबती हुई नैया को साहिल मिल जाता | मगर ऐसा नहीं हुआ और इनकी उड़ान बंद हो गई |
2003 में हीं तो किंगफ़िशर एयरलाइन की नींव रखी गई थी और इनका विमान सफल विमान में शामिल हुआ | परन्तु चुक कहाँ और कैसे हुई ? जब 2007 में एयर डेक्कन के अधिग्रहण कर अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवायें आरम्भ की | इसके बाद एयरलाइन्स का राजस्व घाटे का सौदा होता चला गया और उड़ान यहीं थम सा गया | 2009 - 2010 में किंगफ़िशर एयरलाइन्स के ऊपर 7 हजार करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज हो गया |
विजय माल्या विश्वस्तरीय व्यक्ति कहे जाते रहे हैं और एक खुबसूरत व्यक्तित्व के धनी अध्यात्मिक विचारधाराओं वाले व्यक्ति कहे जाते रहे | मगर क्या से क्या हो गया ? इसे इक्तेफाक कहा जा सकता है | परन्तु इतिहास इस बात की गवाही देगा कि - वे जितनी जल्दी इन्होने अपनी उड़ाने भरी और मिशाल कायम किया , वो सब बड़ी जल्दी सारे हकीकत और उनका कारोबार भष्म हो गया | साथ हीं भारत की क्षति भी हुई |
18 अप्रैल 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड ने इन्हें एक प्रत्यर्पण वारंट कर गिरफ्तार किया | जिसके बाद उन्होंने केन्द्रीय लंदन पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण किया | लेकिन घंटे भर के भीतर हीं 650,000 पोंड की जमानत राशि देने के बाद माल्या को जमानत मिल गई थी |
2008 की गर बात करे तो - विश्व के 962 वें सबसे धनी लोगों में विजय माल्या का नाम भी अंकित था | लेकिन बड़े हीं दुःख की बात है कि तिनका - तिनका जोड़कर इन्होने जो निर्माण कार्य किया और लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराया | आज वहीं शानो - शौकत व रुतबा दामन से फिसल गया | इसे हीं कहते है - जब रुक गए तो , कोई साथी न मिला , कोई सहारा न मिला | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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