Breaking News
भारत में अनेक भाषा है , उतने हीं तौर तरीके और संस्कृति भी | राज्य चाहे जो भी हो कुछ सौ किलोमीटर के बाद भाषा , पहनावा , संस्कृति में बदलाव भी देखा गया है | भारत को अनेक पर्व / त्यौहार / उत्सव मनाएं जानेवाला देश कहा जाता है | बदलाव के बाद भी हम एक है , शायद इसलिए कहा गया है - भारत की गोद में खेलती है गुल्सितां हमारा |
पिछले करीब 3 माह से यहाँ उत्सव / त्यौहार / पर्व का दौर आरम्भ है | आज छठ पर्व का सुबह अर्ध्य के बाद समापन हुआ तभी से आरम्भ हुआ शाम और रात में किये जानेवाला एक और उत्सव / त्यौहार "शामा चकेवा" |
शामा - चकेवा ज्यादातर बिहार , झारखंड और नेपाल में मनाया जाता है | वह इसलिए कि जनकपुर माँ सीता की जन्मस्थली है और जनकपुर बिहार के करीब तो भारतवाले नेपाल को अपना ननिहाल समझते हैं और यही मानकर हम दोनों देशों में आजतक प्रेम सम्बन्ध बरकरार है और रहेगा |
शामा - चकेवा कौन है ? यह संस्कृति कहाँ से आई और क्यूँ कायम है ?
तो जबतक धरती , आकाश रहेगा और रहेगा सृष्टि तबतक शामा चकवा का उत्सव सिर्फ बरकरार ही नहीं रहेगा बल्कि आस्था के साथ साथ विस्तृत भी होता जाएगा | इसलिए कि हम भारतीय तो हर संभव अपनी संस्कृति / परम्पराओं को संभालने / बरकरार रखने का प्रयास करते रहे हैं , आनेवाली पीढ़ी को यह धरोहर सौंपने के लिए ताकि सभी यह जान सके कि ऐसा भी था वैसा भी था आदि आदि |
अगर हमारे पास ग्रन्थ / पुराण नहीं होता तो शायद ! रामानंद सागर द्वारा बनाए गए "रामायण" जो आज हमारे लिए एक सीरियल नहीं धरोहर है देखने को नहीं मिलता और इसी सीरियल को हमारी आनेवाली हर पीढ़ी देखेगी क्यूंकि यह एक इतिहास बन गया और इतिहास कभी मिटता नहीं | भगवान को किसने देखा ? मगर ग्रन्थ की इन्हीं पन्नों ने हमें महसूस कराया है और हमारी आस्था भी इसी से जुड़ी हुई है | .......... शेष जल्द अपडेट हो रहा है
रिपोर्टर