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रूस युक्रेन युद्ध के बीच बेवस हुई महिलायें जाए तो जाए कहाँ ? करीब हर देश में किसी न किसी रूप में आज भी महिलाएं गुलामी की जंजीरों में कैद है | कहने को तो विश्व का चाँद पर पहुँच हो चूका है , यह गर्व की बात है | मगर अफ़सोस बस इतना है कि - महिलाओं के अन्दर छुपे हुए दर्द /भावना को कोई क्यूँ नहीं देख पाता ? चाँद पर पहुँचने की होड़ , परन्तु धरती पर कहराती हुई जिंदगी से दुनियां की आँखे क्यूँ ओझल है ?
युक्रेन पर रूस की चढ़ाई का आज 44 वां दिन है | कुछ लोग पलायन कर चुके , वहीं कुछ युद्ध रुकने का इंतज़ार कर रहे हैं | कीव से 50 मिल दूर किवान कीव जिसपर आज रूस का कब्ज़ा है , गस्ती के दौरान यहाँ की 2 नाबालिक बेटियों के साथ रुसी सैनिक ने रेप जैसा जघन्य अपराध कर अपने देश की वर्दी को दाग दाग कर दिया |
रेप की जानकारी युक्रेन की डिप्टी मेयर मैरिना बेसचस्तना ने दी है | रूस के कब्जे में यह गाँव और यहाँ के नागरिक कैद है जिसके बाद वे बेटियों के साथ क्रूरता बरत रहे है | जान बचाने के लिए बेटियां छिप गई बेसमेंट में जिन्हें रुसी सैनिको ने बाल पकड़ते हुए बाहर निकाला | उन्हें टॉर्चर किया और फिर रेप | वहां की महिलायें घबरा रही है और अपनी जिंदगी और अपने बचाव के लिए अपनी बालो को कटवाने पर हो रही है मजबूर |
युक्रेन में हो रहे रुसी सैनिको के द्वारा कहीं तन कहीं मन का रेप | आह ! निकल सिसकिया भरती हुई महिलाओं की जुबान की यह बोल - तेरे दुनियां में दिल लगता नहीं , वापस बुला ले | यह लाइन किसी गाने का है , मगर जब मन दुखता है तो एक भक्त का भगवान के सामने कोई भी सहारा नहीं होता | यह जानते हुए भी कि वापस जाना इतना आसान नहीं , क्यूंकि दुनियां में जीवन एक जहर के सामान है जिसे इंसान को पीना हीं पड़ता है , क्यूंकि घबराकर मरते तो है बुजदिल और कायर , मगर इंसान तब क्या करे - जब चारो तरफ घनाघोर अँधेरा हीं अँधेरा दिखे |
हर दिन युक्रेन में रुसी सैनिको की बर्बरता / दरिंदगी वहां की बेटी / महिलायें और नागरिक को झेलना पड़ रहा है | स्वयं को बदसूरत बनाने के लिए लाइन लग गई बाल कटवाने की | युक्रेन की सांसद लीजिमा वासिलेंक ने ट्विटर की माध्यम से पूरी दुनियां को उनकी दर्दिंदगी अपने शब्दों में दर्शा दिया | साथ हीं लिखा कि - 10 साल की बेटियों के साथ रेप कर उन्हें फांसी पर लटका दिया है और उनकी बॉडी पर नाजी निशान बना रहे है | 60 साल की महिलायें भी रेप से वंचित नहीं , इसलिए कई सारी महिलायें हैवानियत से बचने के लिए आत्महत्या करने पर मजबूर हो रही है |
इस बात से दुनियां परिचित है कि - एक 14 साल का बच्चा जिसने आँखों देखा हाल सुनाया था , जिसमे उसके सामने वेगैर कसूर बच्चे के पिता के कान के पास और सीने में रुसी सैनिक ने गोली दागी | एक 14 साल के अबोध बच्चे के सामने पिता की हुई मौत , दिल को दहला देता है | आज रूस की इस हैवानियत का जुर्माना कौन भरेगा ? अब रूस और युक्रेन के पड़ोसी देश को सोंचना पड़ेगा | पंच को परमेश्वर माना गया है , आज महिलाओं की इस बेवस हुई स्थिति पर मलहम कौन लगाएगा ?
यूँ देखा जाए तो रूस और युक्रेन दोनों देश इस युद्ध में कितने साल पीछे चले गए , जहाँ मिल्लत में कहीं गुणा ज्यादा तरक्की कर पाते | मगर अब सवाल महिलाओं की सिसकियों पर आ गया है , इससे पूर्व की सिसकियाँ अभी थमी नहीं थी , जहाँ अफगानिस्तान की महिलाए आज भी बेहाल है | दम तोड़ती युक्रेन की बेवस महिलायें जिनके मन और तन दोनों का दरिंदगी से रेप किया जा रहा है , इसपर विश्व को एक होकर सोंचना हीं होगा | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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