Breaking News
युक्रेन में रूस की लड़ाई का आज नौवां दिन है | इस भयावह स्थिति को देखते हुए समझ से परे है कि यह लड़ाई कब तक जारी रहेगा और कब थमेगा कुछ कहा नहीं जा सकता |
रूस के राष्ट्रपति पुतिन के दिमाग में ऐसी सोंच उत्पन्न है कि - आधुनिक युक्रेन पूरी तरह से रूस द्वारा बनाया गया है | यह बाते लड़ाई से कुछ दिन पूर्व हीं उन्होंने टेलीविजन पर एक भाषण के दौरान कहा था |
इतिहास हमेशा गवाही देता है - अच्छाई पर बुराई की छवि या फिर बुराई पर अच्छाई की जीत , जिसमे सदैव मार्गदर्शन करने वाले का नाम अंकित किया जाता रहा है | अपने देश के हिस्से को बचाने के लिए वहां के नेता या नागरिक हर संभव प्रयास करते है | यूँ हीं कोई अपनी जन्मभूमि को खंडित करने या दूसरे के हाथ में जाने की सोंच नहीं रख सकता | इसके लिए भले हीं सर कलम हो जाए , मगर वो सर झुका नहीं सकता |
लड़ाई के बाद नजारा जो भी हो , मगर लड़ते लड़ते फांसी चढ़ जाना अलग बात है | मगर युद्ध के डर से हाथ जोड़ पीछे हट जाना , जहाँ जन्मभूमि के गुलामी का सवाल हो , यह कायरता की निशानी मानी जाती है और युक्रेन के राष्ट्रपति वहां के नागरिको के साथ डटकर मैदान में कूद पड़े है जिसके बाद दुनियां का अधिकांशतः देश सहानुभूति का लेप चढ़ाते हुए दिखाई पड़ रही है , साथ हीं उनकी तारीफ करने से पीछे भी नहीं |
वहीं रूस की तरफ कई देश अपने दोस्ताना हक़ से युद्ध रोकने का आग्रह कर रहे हैं जिसमे कुछ देश सख्ती से पेश आ रहे हैं | आवाज आग्रह का हो या फिर शक्ति का , सवाल सिर्फ किसी तरह युद्ध रोक देने का जिससे की बेकसूर मारा न जाए और दो देश की बर्बादी से बचाव हो सके |
कुछ दिन पहले इसी लड़ाई में एक 6 वर्ष की मासूम बच्ची युद्ध की शिकार हो गई जिसने दुनियां देखा भी नहीं था | युद्ध से अनभिज्ञ बच्ची ने डॉक्टर की गोद में दम तोड़ा और डॉक्टर की जुबान से आह निकालते हुए कहा - इसे पुतिन को दिखाओ |
युक्रेन पहले सोवियत संघ का हिस्सा था , परन्तु उन्होंने 1991 में अपनी स्वतंत्र होने की घोषणा कर दी | युक्रेन रूस का पड़ोसी देश है और इतिहास गवाह है कि - रूस ने अवैध रूप से क्रीमिया पर कब्ज़ा जमा लिया था , उस वक्त जब युक्रेन ने रूस से मदद मांगी थी | रूस का ऐसा मदद था युक्रेन के प्रति |
क्रीमिया युक्रेन का वह हिस्सा था जो काला सागर पर रूस की सीमा में स्थित है | रूस की छटपटाहट यह है कि - वह किसी भी कीमत पर युक्रेन को परमाणु हथियार बनाने पर अंकुश लगाकर हीं दम लेगा | आज की यह लड़ाई मानो उसी हिस्सा से जुड़ा है कि क्रीमिया की वापसी के लिए ताकत को तोड़ दिया जाए |
इस लड़ाई को देखकर अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि - कोई देश रूस के पक्ष की तरफ कदम बढ़ाता है तो उसे पहले हमसे मुकाबला करना पड़ेगा | उन्होंने साफ़ तौर पर बोला है कि - युक्रेन के युद्ध में सैनिक भेजने का उनका कोई ईरादा नहीं , परन्तु रूस के नजदीक नाटो खड़ा है इसलिए नाटो और अमेरिका चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है | अब रूस की गति और सोंच पर निर्भर है कि वह अपनी कदम पीछे करेंगे या फिर नाटो से टकरायेंगे |
आज युक्रेन पर रूस की लड़ाई को लेकर करोड़ो दिल आहत है और सबकी नजरे इसी युद्ध पर टिकी हुई है | देखा जाए तो हर इंसान या देश एक दूसरे से कहीं कमजोर है तो कहीं मजबूत | आज इनकी बारी , कल उनकी सवारी |
हर पन्ना विश्व की लड़ाई का याद दिलाता है | 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी में जापान के इन दोनों शहरों पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराए जाने का इतिहास आज भी गवाही देते हुए सवाल खड़ा करता है | जहाँ 3 लाख 75 हजार लोग हिरोशिमा में मारे गए वहीं नागासाकी में 74 हजार लोग अकाल मृत्यु की गोद में समाने पर मजबूर हुए |
यह दौड़ सुबह का वह वक्त था , जहाँ लोग अपनी दिनचर्या की गति बुनते हुए अपनी सोंच को केन्द्रित करते है | अचानक परमाणु बम गिरने से लोगो की गति शांत पड़ गई |
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फैंकलिन डेनालो रूजवेल्ट अब इस दुनियां में नहीं फिर भी लोग उन्हें याद करते है | शक्ति दर्शाने के लिए जरुरी नहीं युद्ध छेड़ा जाए , गुलाब के पौधे भी लगाए जा सकते है जिसकी खुशबू दूर तलक अपनी सुगंध से वातावरण को महकाए और शुकून दे | महाशक्ति का यह भी एक बहुत बड़ा प्रदर्शन है कि देखो हममे कितनी ताकत है कि हम पूरी दुनियां को खुशबू से नहलाने की ताकत मौजूद रखते हैं | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर