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5G को लेकर जूही चावला की याचिका ख़ारिज की गई और उनपर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया |
5G इन्टरनेट की स्पीड की गति बहुत तेज है और इसे आधुनिक दौड़ में क्रांतिकारी माना जा रहा है | क्यूंकि इससे टेलीसर्जरी , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , बिना ड्राईवर के कार जैसे तकनीक को और भी ज्यादा मदद मिलेगा | यह अमेरिका , चीन . दक्षिण कोरिया , यूरोप में पहले से हीं धरातल पर है | अब भारत में भी इसका ट्रायल्स चल रहा है और धरातल पर उतरने की तैयारी में है | जिससे भारत को तंग व तबाह होते देर नहीं लगेगी | इसी बात को लेकर जूही चावला काफी परेशान व चिंतित है और जूही चावला आज से नहीं बल्कि पिछले 10 वर्षो से इसी गहरी चिंतन में लगी है कि , आखिरकार भारत में मोबाइल के बढ़ाते हुए टावर पर कैसे रोक लगाईं जाए |
लोग भी इस बात से भली - भांति परिचित है कि 5G के आधारभूत सुविधाओं से रेडिएशन का एक्स्पोजल बढ़ जाएगा , जिससे कैंसर जैसी बिमारी बढ़ती है | आज हमारे भारत में कैंसर से प्रतिदिन न जाने कितने लोगों की मृत्यु हो रही है | फिर भी लोग आँधियों में दौड़ लगा रहे है | 5G के टावर से जो रे निकलेगा , वह कैंसर जैसा उपहार भी घर - घर में लाकर देने वाला है और यह एक ऐसा एड्स जैसा भयावह रोग होगा कि बिन छुए हीं लोग ग्रसित हो जायेंगे | उधोगपति का कुछ नहीं बिगड़ेगा , क्यूंकि उनके पास प्रयाप्त सुविधा है | लेकिन आम आदमी का क्या होगा ? यह गहरी सोंच का विषय है ! उदाहरण के तौर पर अभी कोरोना महामारी से सारा देश जूझ रहा है | अंतर कहाँ और किसको कितना पड़ रहा है , यह समझने की जरुरत है |
आज भले हीं जूही चावला की बाते बेबुनियाद कहकर ख़ारिज कर दिया गया | परन्तु हम याद दिला दें की 2019 में बेल्जियम के पर्यावरण मंत्री सेलिन फ्रेमा ने एक बयान में कहा था कि - मै ऐसे तकनीक का स्वागत नहीं कर सकती , जिससे नागरिकों को खतरा हो | इसलिए रेडिएशन स्टेंडर्डस की इज्जत नहीं हो सकती | चाहे 5G हो या न हो ! बेल्जियम के लोग गिनी पिग नहीं है , जिनके स्वास्थ्य को हम आमदनी या मुनाफे के लिए बेच दे |
लोग इस बात को अच्छी तरह गांठ बांध ले कि 5G नेटवर्क को पुरानी तकनीक के मुकाबले ज्यादा ट्रांसमीटर की आवश्यकता होती है | सूचना के आधार पर 2019 में कई भारतीय वैज्ञानिकों ने भी सरकार को 5G के खिलाफ पत्र लिखा था |
जूही चावला की याचिका में यही दावा किया गया था कि - 5 हजार से ज्यादा ऐसे वैज्ञानिक शोधक है , जो कथित तौर पर बता रहे है की नेटवर्क प्रोवाइड्स की इस लड़ाई में लोग मौत का शिकार हो रहे है | YouTube पर जूही चावला द्वारा एक प्रेजेंटेशन उपलब्ध है , जिसमे वो बता रही है कि , इतने सारे फोन टावर से उनकी फ़िक्र बढ़ी थी | उन्होंने अपने घर के आसपास रेडिएशन के स्तर की जाँच के विषय में सोंचा और जाँच रिपोर्ट पर नजर पड़ी तो उनका फ़िक्र बढ़ता हीं चला गया | उनके घर से 40 किलोमीटर दूर सह्याद्री गेस्ट हाउस पर मोबाइल फोन के 16 टावर लगे हुए है | जिसे उन्होंने 2011 में हीं देखा और तब से आज तक इसी मुद्दे पर विचार कर रही है | IIT मुंबई के एक प्रोफ़ेसर ने जांच की तो पाया कि उनके घर का एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर असुरक्षित था |
हमारा विज्ञान , इंसान को अपने साथ लेकर , इतना दूर भगाता जा रहा है कि , लोग चाँद पर भी जमीन खरीदना आरम्भ कर दिया | जबकि सबको पता है कि वे इस जन्म में चाँद पर घर नहीं बना सकते , तो फिर ये दौड़ कैसा और किसके लिए ?
लेकिन चलते - चलते फिर आपको बता दे कि - इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ने मोबाइल फोन से जन्म होने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स को इंसानों के लिए कैंसर पैदा करने वाला बताया है और वैज्ञानिक भी 5G से खतरे मोल लेने की बात कही है |
तो क्या ऐसा नहीं लगता ! कि जूही चावला के इस फैसले पर कोर्ट को एक बार फिर पैनी दृष्टि डालनी चाहिए | चूकि दायर याचिका में जूही चावला , विरेश मलिक और टीना वाच्छानी ने 5G पर रोक लगाने की बात कही थी , तबतक , जबतक सरकार पुष्टि न करे कि , इस तकनीक से कोई खतरा तो नहीं ! फिर भी , कोर्ट ने न जाने क्यूँ ? इतनी अच्छी सोंच जो जनहित के लिए दायर की गई थी को ख़ारिज करते हुए , एक सोशल वर्कर पर 20 लाख रुपये का जुर्माना दायर कर दिया | तो फिर उन वैज्ञानिक के शोध और कथनी का क्या ? जिन्होंने कहा है कि - इससे कैंसर जैसे रोग होने का खतरा है | जिसका हर्जाना भारत को भरना पड़ेगा | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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