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उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में एक18 वर्षीय भाई ने , अपनी तेज बुद्धि का इस्तेमाल कर , अपनी 16 वर्षीय बहन की शादी , एक अधेर उम्र के व्यक्ति से करने पर इंकार कर दिया | ऐसे में इस 18 वर्षीय लड़के ने , दो अपराध होने से बचाया | पहला - अधेर उम्र के व्यक्ति से अपनी नाबालिग बहन का विवाह होने से रोका | दूसरा - 16 वर्ष की लड़की को नाबालिग कहा गया है , जो सरकार की सूची में विवाह की इजाजत नहीं देती | ऐसे में अगर विवाह हो जाता , तो हो सकता है दोनों परिवार वाले दंड के भागी बनते , जिस अपराध से वे बच गए |
14 जून यानि आज के दिन , गोरखपुर की एक नाबालिग बेटी की शादी की बरात आने वाली थी | विवाह स्थानीय मंदिर में होना तय हुआ था | जब बरात मंदिर के प्रांगन में पहुंची , तो लड़के को देखकर , लड़की के भाई ने सवाल खड़ा कर दिया और अपनी बहन की शादी , अधेर उम्र की व्यक्ति से होने से मना कर दिया |
असल में लड़की के पिता ने अपनी 16 वर्षीय बेटी की शादी , एक अधेर उम्र की व्यक्ति से तय कर दी थी | बरात मंदिर में पहुँच चुकी थी , लड़की के भाई ने जब शादी से इंकार किया , तो शरातियों और बारातियों के पक्ष से बहस होनी शुरू हो गई और बहस इतना बढ़ा की मार - पीट का रूप ले लिया | बारात को शादी की रश्म अदा किये बिना , खाली हाथ लौटना पड़ा |
सूचना के आधार पर , गुलरिया थाना क्षेत्र के बास स्थान बामत माता मंदिर में , सोमवार को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार , महाराजगंज के पनियारा थाना क्षेत्र के एक गाँव की 16 वर्षीय लड़की के साथ विवाह होना तय हुआ था | लड़की के पिता , सभी तैयारी के साथ मंदिर परिसर में लड़की को लेकर पहुंचे | परन्तु बारात में लड़की के 18 वर्षीय भाई की नजर जैसे हीं लड़के पर पड़ी तब विवाद आरम्भ हुआ और बारात वापस चला गया |
भाई ने कहा - हम अपनी मासूम बहन की शादी इतने उम्रदराज व्यक्ति के साथ नहीं कर सकते | समाज व उनके पिता ने बहुत समझाने का प्रयास किया , परन्तु सारा प्रयास विफल गया | भाई ने कहा - मेरी उम्र 18 वर्ष है और मुझसे 2 वर्ष छोटी मेरी बहन है | तो अपने पिता की उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह कर , अपनी बहन की जिंदगी , क्यूँ सौंप दें ?
हर भाई की प्रवृति , इतनी हीं सरल हो तो - कोई पिता , अपनी बेटी की शादी , अधेर उम्र के व्यक्ति से करने की सोंचेगा भी नहीं और अधेर उम्र के व्यक्ति भी नाबालिग लड़की से शादी करने के पहले सौ दफा सोंचेगा - कि कहीं आज की तरह हीं उसे बैरंग न लौटना पड़े | क्यूँकि यह शोभनीय नहीं ! ऐसा बहुत पहले से होता आया है , जो गलत है | परन्तु अब सोंच बदलनी चाहिए | एक पिता को आखिर किस बात की लालच थी , कि वे अपनी नाबालिग लड़की का हाथ अधेर उम्र के व्यक्ति को देने की सोंच रखी और उस व्यक्ति ने भी शादी की स्वीकृति दे दिया |
आज की तारीख में , ऐसी जोड़ी , किसी की नजर में शोभनीय है ? दामाद बेटे की तरह लाइए न कि अपने बराबर के दोस्त की तरह | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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